मृत्यु

death

मृत्यु क्या है?

“मृत्यु”, इस शब्द के संबोधन के साथ ही एक विचार घूमने लगता है, संपूर्ण शांति का । जिसके बाद अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है..!

मृत्यु सृजन का अंत है या प्रारम्भ , यह वह प्रश्न है जिस पर अभी भी रहस्य बना हुआ है। समय की ध्वनियों में चक्र चलते हैं, कई तरह के । साधारणत: यह अनिश्चित होते हैं। ऋतु परिवर्तन से लेकर, धरा की गति भी बदलती रहती है। सब ऐसे पिरोया गया है कि किसी एक क्रम में अंतर होने से, पूरा क्रम प्रभावित हो जाता है।

धरती के इतिहास में अनेकों परिवर्तनों के बाद भी, आज भी निरंतर बदलाव होता जा रहा है और यह तय है कि होता रहेगा। अगर धरती को एक ग्रह से अधिक जीवित संरचना के रूप में देखें , तभी अनंत ब्रह्मांड को समझने की रुचि उत्पन्न हो सकती है। असीमित आन्तरिक क्षमताओं का आह्वाहन ही चीज़ों के पार देखने में सहायक हो सकता है।

मृत्यु प्रलाप से अधिक यह प्रश्न उठाती है कि , आख़िर जीवन क्या है? ऐसा क्या होता है जो एक ही बार में सब समाप्त करने में सक्षम है। तो फिर जीवन भर जिस तरफ़ घूमते रहते हैं,क्या उन चीज़ों की कोई वास्तविकता नहीं।
यह सवाल उठने का तात्पर्य ही यह है कि आप कुछ खोज रहे हैं..!

मृत्यु पर बनते बिगड़ते सवाल एक दिशाहीन अवस्था में ही अटके रहें हैं, केवल इंसानी प्राण का चले जाना मृत्यु नहीं है। इस धरा के प्रत्येक सचेतन जीव के प्राणों का निकल जाना भी मृत्यु है। इंसानों ने अपनी सीमित बुद्धि के आधार पर स्वयं को विशिष्ट स्थान दिया है, तभी केवल अपने प्राण त्यागने को ही मृत्यु कहते हैं और सदियों से उसी पर विलाप करते आ रहे हैं…

-मृत्यु के पार क्या है?

बहुत से अनंत की खोज में लगे व्यक्ति मृत्यु के पार भी देख पाने में सक्षम हैं। इस बात को पूरी तरह से नकारा भी नहीं जा सकता। यह आवश्यक नहीं कि जो बात हमारी सीमित बुद्धि में नहीं समा पा रही, उसका कोई अस्तित्व ही ना हो।

कर्मयोगी कर्म करने के साथ- साथ उसके प्रतिफल से इसीलिए विरक्त रहते हैं, क्योंकि वो अन्तिम सत्य ” मृत्यु” को हर क्षण स्मरण रखते हैं। जीवन एक खोज और यात्रा दोनों का भाग है। मृत्यु विराम है; लेकिन पूर्णविराम है या नहीं, इस पर अभी भी प्रश्न हैं…!

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