कुछ बेघर जीव जंतु देखे..!
प्रश्न मेरा हर बार यही उठता है कि उनके घर में यह कौन रह रहा है..?
मानव ने इतने जीव जंतुओं के घर नष्ट किए हैं जिसका कोई हिसाब नहीं…
उनके घर में यह कौन है..?
नन्हीं चिड़ियां की दो आंखें वही विश्व देख रही हैं, जो मानव कहलाने वाला, धरती का सबसे विध्वंसकारी जीव। अंतर केवल मानसिक और आंतरिक विकास से ही है, बाकी कोई अंतर नहीं।
“इसका तात्पर्य यह हुआ कि धारण करने के सामर्थ्य के बिना आपकी आंतरिक और बाहरी प्राप्ति केवल आपका ही बनाया हुआ एक भ्रमजाल है, जिसमें आप संतुष्टि का दावा तो करते हैं लेकिन सच क्या है वो हम सबको पता है..! “
किसी पुस्तक में एक बहुत सुंदर बात लिखी हुई देखी कि अगर धरती के सारे नदी, तालाब, पेड़, पक्षी जब जा चुके होंगे, या कहूं कि कुछ नहीं बचेगा .! तो क्या मानव काग़ज़ खाकर जीवित रहेगा।
सुनने में आता है कि ऐसी दवाइयां बनाई जा रही हैं, जिसके बाद खाने के लिए अन्न या किसी और चीज़ की आवश्यकता नहीं होगी। उम्मीद है कि मशीनों की बढ़ती उपयोगिता के बाद मानव की आवश्यकता भी न रह जाए..।
शिविका 🌿