उम्र बढ़ने के साथ यदि जीवन कष्ट से भरता जा रहा है या कोई आनंद नहीं, इसका सीधा अर्थ है आपने जीवन को एकदम मामूली समझ कर बिताया है ;और उम्र के साथ ठहराव और मानसिक स्थिरता से उपजा आनंद मिल रहा है तो नि:संदेह जीवन को और समय को सबसे अमूल्य समझकर उसे समझा गया है..
घर के नीचे थोड़ी देर पहले शोर हो रहा था। किसी के घर का, लोहे का दरवाज़ा मशीन से काटा जा रहा था। मम्मी ने जब शोर सुना तो मम्मी नीचे गई। उनको देखकर मैं भी उनके पीछे गई , आंटी बता रही थी कि एक बूढ़े दादाजी रहते हैं वहां, उनके घर में कोई नहीं है।
उनका बेटा था, जिसने कुछ समय पहले आत्महत्या कर ली है। उसके बाद अब वो एकदम अकेले बचें हैं। बार- बार बोलते हैं कि मैं मर क्यूं नहीं जाता..?
रोज़ सुबह उठते ही वो अपने दोस्तों को, जो कि लगभग उन्हीं की उम्र के हैं मैसेज करके बताते हैं कि वो ठीक हैं। आज उनका मैसेज नहीं गया तो सब परेशान हो गए। खाना बनाने वाली दरवाज़ा खुलवा रही थी , पर दरवाज़ा खुला ही नहीं। फिर कुछ लोग जमा हो गए जो भी उनके जीवन से स्नेह रखते थे। दरवाज़ा खोला गया, तो वो फर्श पर गिरे हुए थे। Ambulance आई उन्हें अस्पताल ले गई। हालांकि , वो दैहिक रूप से बच भी जाएं, लेकिन उनकी आंतरिक क्षति कबकी हो चुकी है, यह अनुभव किया मैंने।
“हर दिन कोई न कोई आंतरिक रुप से मर रहा है, सोशल मीडिया के इस बढ़ते युग में आपसी संवादों का स्थान लगभग रिक्त हो गया है। यह कुछ कार्यों तक तो ठीक है, लेकिन इसी को जीवन मान लेने वाले मर रहे हैं… उन्हें ज्ञात होना चाहिए कि यह कोई परिणाम पुस्तिका नहीं जहां पर हर चीज़ लाकर सौंप दी जाए….!”
शिविका🌿