ज़मीनों की लड़ाई
एक ही रास्ते से निकलने वाले यात्रियों का यात्रा वृतांत भिन्न होता है… रास्तों के निषेध नहीं होते, आप उन्हें जिस दृष्टि से देखेंगे वो आपको वही दिखा देने में पूर्णत: सक्षम हैं…
कई बार सोचती हूं, जिन ज़मीनों की लड़ाई में ये पूरी दुनिया लगी हुई है। इनको या इनके पुरखों को भगवान ने उपहार में दी थी, या नहीं तो फिर कहीं से लूटी ही होगी। क्योंकि , जब दुनिया शुरू हुई तब बँटवारा कहाँ हुआ था?
हुआ था क्या?
जड़ता की अति में डूबे हुए मस्तिष्क को, जीवन्त कहानियों से भय होता है। यह भय उन्हें दुनिया में घूमते रहने को विवश करता रहता है और कई बार तो इतना घुमाता है कि जीवन के कई चक्र बीत जाएं..!
“अष्टावक्र और अवधूत जैसे महर्षियों को अधिकांश कभी समझ ही नहीं पाएंगे । उनको जानने का अभिप्राय ही आपको आपकी खोखली जड़ों से हिला देगा, और जड़ें हिलने के बाद लोग , दुनिया भर में घूम – घूम कर झूठ फैलाना और कुतर्क करना अधिक पसंद करते हैं..”
शिविका 🌿