चीखती कहानियाँ

चीखती कहानियाँ

चीखती कहानियाँ

कितनी अनसुनी कहानियाँ चीखती हैं। अपने आपको ज़ाहिर करने की कोशिश करती हैं। पर कोई सुनता ही नहीं, सबके कान बंद होते हैं।लोग वही सुनते हैं, जो वो सुनना चाहते हैं या फिर वो, जो भीड़ बोलती है। पर भीड़ का क्या है..! ये तो बहरूपियों से भरी होती है।आज कोई और रंग, तो कल कोई और रंग।

वो अनसुनी कहानियां मरती नहीं, कोई न कोई पहुंच ही जाता है उन तक। कई बार कहानी का किरदार जा चुका होता है । पर उसकी कहानी शोर मचा देती है, क्योंकि उसका किरदार छिपाया नहीं जा सका। कुछ किरदार अपनी कहानी से भी बड़ा कद रखते हैं। उन्हें जीवित रहते हुए कभी पता ही नहीं चला, कि उनका होना किसी के लिए क्या था.?

उनके जाने के बाद अचानक शोर उठता है, वो शोर एक छोटी गली से लेकर , लंबी – चौड़ी सड़कों को पार करता हुआ, दुनिया के हर कोने में पहुंच जाता है। फिर, लोग आते हैं दावा करने , कि वो उसे जानते थे..! पर सच तो यह है, कि उसे कभी जाना ही न जा सका। ना उसके रहते हुए और ना ही उसके जाने के बाद..!

“भीड़ ज़्यादा होने से, ग़लत बात सही नहीं हो जाती। ये प्रकृति सत्य पर टिकी है, व्यक्ति भी इसी का हिस्सा है। जो इसे समझ जाता है, वो दमदार किरदार वाली कहानी जीवित कर जाता है, हमेशा-हमेशा के लिए..!”

शिविका 🌿

Please follow and like us:
Pin Share