जेल की अंधेरी कोठरियाँ..!

जेल की अंधेरी कोठरियाँ..!

जेल की अंधेरी कोठरियाँ..!

जेल के दमनकारी घेरे में, जहाँ समय काली परछाईं की तरह बढ़ता दिखता है; और जीवंत होने की उम्मीद मुरझा जाती है, कैदी अपनी ही परछाइयों से जूझते हैं। हर कोठरी अपने आप में एक अलग ब्रह्मांड की तरह महसूस होती है।

कुछ कोठरियां बिल्कुल नीरस होती हैं : कोई बिस्तर नहीं, कोई शौचालय नहीं, बस एक छोटी, ऊँची खिड़की , जिससे रौशनी के दिखने भर का ही आभास हो सकता है । दिन गुज़रते समय के साथ एक-दूसरे में धुंधले होते जाते हैं। केवल साथी कैदियों की यातनाओं की चीखें ही सुनाई देती हैं। चीखें मौन लेकर और शब्द दोनों के साथ ही प्रकट होती हैं।

उनका जीवन प्रतिदिन 90 मिनट के व्यायाम के इर्द-गिर्द घूमता है, बाकी का समय अनचाहे कार्यों में उलझते हुए, जिसकी बाद में आदत पड़ जाती है। कुछ कैदी प्रारम्भिक दिनों में आते ही घबरा जाते हैं , उनकी पहचान अकेलेपन में उलझ जाती है ।अन्य लोग लंबे समय तक अवसाद में चले जाते हैं, उनकी संज्ञानात्मक क्षमताएँ पुराने चर्मपत्र की तरह क्षीण हो जाती हैं।

अपने आप से अलगाव, कुछ लोगों की आत्मा को हर पल कुरेदता है । अन्य लोगों के लिए कैद , पागलपन की ओर ले जाने वाली व्यवस्था का नाम है और कुछ लोगों के लिए आत्म-विनाश की पूरी योजना ।

मुट्ठी भर कैदी एक अप्रत्याशित स्वतंत्रता की खोज करने का प्रयास करते हैं । विकर्षणों से मुक्त होकर, वे भीतर की ओर बढ़ते हैं। लंबे समय से दबे विचारों और भावनाओं की खोज करते हैं । इस उजाड़ परिदृश्य में, उन्हें एक अजीबोगरीब मुक्ति मिल सकती है- एकांत को सज़ा के रूप में समझने के विपरीत, उसे सहजता से अपनाने के अवसर भी सामने आते हैं।

उस उजाड़ कोठरी में भी कुछ लोगों को उनके विचार जगाए रखते हैं। श्री अरबिंदो, जो अपनी छोटी सी कोठरी में ध्यान करते थे, अराजकता में सांत्वना की तलाश करते थे।सांत्वना की तलाश में लंबे समय तक ध्यान किया। बेचैन मन को नियंत्रित करना मुश्किल था, और पागलपन का डर भी था। लेकिन फिर, कुछ असाधारण हुआ। उन्हें आध्यात्मिक अनुभूति हुई – ईश्वर का प्रत्यक्ष दर्शन। उन्हें ऐसा अनुभव हुआ जैसे शांति की नदी पर तैर रहे हों, मौन के पुलों के नीचे। “मैं” का अस्तित्व समाप्त हो गया, और एक गहरी सच्चाई का आभास हुआ।

 “जेल की दीवारों में रहस्य छिपे होते हैं- अंधेरे से किए कबूलनामे, ख़ामोश विद्रोह, और घुटन से भरी सिसकियों के रहस्य..”

शिविका 🌿

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