आन्तरिक खोज की भाषाएं

आन्तरिक खोज की भाषाएं

इस विश्व की सारी गहरी बातें आंतरिक खोज की भाषाएं हैं। इनमें विविधता है, विस्तार है।

प्रकृति का सानिध्य प्राप्त होता है तो सहजता की स्वीकृति से आत्म स्पर्श की अनुभूति प्रबल होती जाती है। कई बार ऐसा भी होता है कि प्रकृति भी अपना स्पर्श नहीं दे पाती। एकांत के छोर सबकुछ खींच लाने में समर्थ हैं। इनके लिए भ्रमण का केंद्र बदल जाता है।

विचारों के मंथन से निकलने वाले शब्दों को अंतिम निष्कर्ष तक आने के पहले कई बार मृत्यु का मुंह ताकना पड़ता है। मंथन की प्रक्रिया में सम्मिलित तो सारे विचार होते हैं, लेकिन तथ्य का स्पर्श सबको प्राप्त नहीं होता। इधर – उधर भागती हुई संवेदनाओं के बीच चुनाव की उपयोगिता एक स्पष्ट आधार बनने के बाद ही प्रकट होती है।

“चेतनाओं की जागृति का स्तर उनके आजीवन प्रयासों की देन है, वो भी तब , अगर वो समझने की प्रकिया को चुने। शब्द देना आसान है, सब अपने चुनाव के अनुसार शब्द देते रहते हैं, लेकिन तटस्थता के साथ उस आंतरिक मंथन को जीना आपको कुछ ऐसा दे देता है, जिससे बाहरी विश्व भ्रम से अधिक कुछ प्रतीत नहीं होता..”

शिविका🌿

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