अग्नि नृत्य क्या है ?

Agni Nrutya (1)

अग्नि को मुख्य भूमिका में रखकर किया जाने वाला नृत्य ही अग्नि नृत्य है। राजस्थान के जसनाथ संप्रदाय के सदस्यों द्वारा अग्नि नृत्य की प्रस्तुति दी जाती है। जसनाथी संप्रदाय के लोगों का अग्नि नृत्य विश्व प्रसिद्ध है , जो अधिक संख्या में लोगों को कतरियासर गांव आने के लिए विवश कर देता है।

कतरियासर, राजस्थान के बीकानेर जिले का एक प्रसिद्ध गाँव है। यहीं पर श्री जसनाथ जी महाराज की समाधि तथा मंदिर बना हुआ है ।

संत जसनाथ कौन थे ?

संत जसनाथ, जसनाथी सम्प्रदाय के संस्थापक थे। इन्होंने गुरू गोरखनाथ से दीक्षा ली थी। इस सम्प्रदाय में रहने वाले लोगों के लिए संत जसनाथ ने छत्तीस नियम बनाएं, जिसका पालन आवश्यक है।  चौबीस वर्ष की आयु में संत जसनाथ समाधिस्थ हुए ।

जसनाथी सिद्ध अनुयायी बड़ी संख्या में हैं, मुख्य रूप से यह लोग (चाऊ)नागौर, पांचला सिद्धा (मारवाड़), जोधपुर, बाड़मेर, चुरू, गंगानगर, बीकानेर सहित हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश के कई भागों में देखे जा सकते हैं।

अग्नि नृत्य की क्या विशेषताएं हैं?

Agni Nrutya (2)

राजस्थान में अग्नि नृत्य का आरम्भ ही , जसनाथी सम्प्रदाय के जाट सिद्धों द्वारा माना गया है। जलते हुए अंगारों पर किया जाने वाला यह नृत्य अपने आप में विशेष प्रकार का है। सबसे पहले लकड़ियों के ढेर में आग लगाकर ” धूणा” किया जाता है और फिर उसके आसपास पानी छिड़का जाता है।

उसके बाद जो भी नर्तक उसमें शामिल होते हैं, वह उसकी परिक्रमा करते हैं। फिर अपने गुरु की आज्ञा लेकर तेज़ आवाज़ में फतह! फतह!( विजय हो! विजय हो!) बोलते हुए, अंगारों पर प्रवेश करते हैं। 

इस नृत्य की मुख्य विशेषता यह भी है कि इसमें केवल पुरुष भाग लेते हैं। इनके पहनावे में सिर पर पगड़ी, धोती कुर्ता और पैर में कड़ा अवश्य ही होता है।

‘ गायबा’ क्या है..?

आग के साथ, राग और फाग का संगम केवल इसी अग्नि नृत्य में देखा जा सकता है। 

इस नृत्य के समय जसनाथ जी द्वारा रचित  ‘ सिंभूधड़ो’ , ‘कोड़ों ‘ , ‘गोरखछंदौ ‘ , आदि रचनाओं का गायबा किया जाता है।

रतजगे के प्रथम प्रहर में “बड़ी राग” , द्वितीय प्रहर में दूसरा सबद “शूभ राग” और तीसरे प्रहर में ” हंसा राग” गाया जाता है।

‘ चलू’ क्या होता है..?

जागरण के पश्चात जसनाथी संप्रदाय के सिद्ध “चलू” आचमन लेकर विदा लेते हैं। चलू के बारे में कहा गया है कि यह धर्म की आण, गुरू की काण, गंगा का स्नान, गोरखनाथ का ज्ञान, ईश्वर का ध्यान , संत पुरखों का मान और जसनाथ जी के आचार विचार हैं।

शिविका🌿

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