चौपाल – भाग एक

चौपाल - भाग एक

चौपाल (भाग – एक)

पुराने समय में अक्सर यह देखा जाता था , कि गांव के बीचों – बीच एक चौपाल बनी होती थी। जिसमें गांव के जानकार अपने दैनिक जीवन से लेकर, देश – दुनिया की खबरों पर विचार- विमर्श करते थे। चर्चा करने का विषय कुछ भी हो सकता था। यहां पर, ध्यान देने वाली बात यह है कि वो जानकार पूरी तरह एक खबरी की भूमिका निभाते थे। हालांकि, आज के आधुनिक परिवेश में इन खबरियों को अलग – अलग नामों से पुकारा जाता है। जैसे विश्व के बड़े- बड़े अंतर्राष्ट्रीय संगठन , जो लगभग सभी बातों की जानकारी रखते हैं, ऐसा इनका मानना है । इनके खबरी सद्स्यों को न केवल दुनिया की बल्कि, अन्तरिक्ष की जानकारियां भी होती हैं।

वो बताते हैं कि परग्रहियों से इनका संपर्क हो चुका है और अब बस उनके साथ बहुत से विषयों पर बातचीत की जा सकेगी। इनकी बातचीत करने की इस सुन्दर आदत का अभी तक कोई इलाज नहीं मिल पाया है।

चलिए एक दूरस्थ मंडली बैठा ली जाए, गांव की चौपाल और विश्व की चौपाल के बीच…!

गांव की चौपाल-

(एक व्यक्ति अपना गमछा निकलाकर पसीना पोंछता हुआ कहता है)

इतनी गर्मी पड़ रही है…लग रहा है कि सिर पर जलता चूल्हा लेकर घूम रहा हूं…

विश्व की चौपाल –

(एक खबरी सदस्य)

हमें ध्यान देने की ज़रूरत है, यह बढ़ता हुआ तापमान पूरी धरती के लिए चिंता का विषय है…

गांव की चौपाल –

(एक व्यक्ति)

अरे अपनी क्या देखें…!

सारे जानवर भी गर्मी से पागल हो रहे हैं, कुत्ते – बिल्ली, गाय- भैंस, सब पागल हो रहे हैं।

गाय के पास जाओ तो मारने दौड़ती है…

विश्व की चौपाल –

(एक खबरी सदस्य)

ग्लेशियर पिघल रहे हैं, बाढ़ आ रही है, नदियों का पानी सूख रहा है, अकाल पड़ने की स्थिति है….

गांव की चौपाल –

(एक व्यक्ति)

(खैनी चबाता हुआ कहता है)

अरे ठीक कह रहे हो…आज मैं चारा डालने गया, तो नंदिनी मुझे ऐसे देख रही थी कि ज़िंदा ही नहीं छोड़ेगी…

जैसे यह लावा उगलता सूरज, हमने ही लगाया हो…

अब सूरज देवता की नाराज़गी से , हम सब भी तो परेशान ही हैं न..?

विश्व की चौपाल –

(एक खबरी सदस्य)

हमने पर्यावरण बचाव के लिए जो आचार संहिता बनाई थी। उसका कई देशों ने पालन नहीं किया।

इसी कारण आज यह स्थिति हो गई है।

कई देश विलुप्ति की कगार पर खड़े हैं।

गांव की चौपाल –

(एक महिला)

मुझे पता था, तुम यहीं मिलोगे…

तुम सबकी बकैती ख़त्म हो गई हो तो जाओ, पानी भर लाओ नदी से…

कुएं सूख गए सारे गांव के…

(दुःखी मन से)

नदी में ही थोड़ा पानी बचा है…

विश्व की चौपाल –

(एक खबरी सदस्य)

(ज़ोर देकर कहता है )

पिछली बैठक में, वो जो बचे हुए देशों की, “विलुप्ति की रेड लिस्ट” जारी की थी …!

उसमें भी..! अब कुछ ही रह गए हैं…

गांव की चौपाल –

(एक बच्चा)

अरे! कौन सी नदी..!

वो नदी नहीं है…!

नदी के बीच में पानी से भरा एक गड्ढा है बस…

क्रमश:………..

शिविका 🌿

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