कुंठित कौन है..?

कुंठित कौन है..

हम जिसे भी अपने जीवन में सर्वश्रेष्ठ स्थान देते हैं, स्वभावत: उसके गुण हमारे भीतर आना प्रारंभ हो जाते हैं…यह केवल मनोविज्ञान नहीं कहता, यह जीवन की बात भी है।

गहरे और ऊंची सोच से जीवन जीने वाले व्यक्ति ही आपका हाथ पकड़कर खींचने में विश्वास रखते हैं..वो आपको कभी धकेलेंगे नहीं अपने स्वार्थ के लिए ; और दूसरी ओर जिनके मस्तिष्क में निम्नता भरी हुई है , वो अपने आपको उच्च दिखाने के सामर्थ्य में निरंतर गिरते जाते हैं।

अपने आपको मुक्त रखना ही आवश्यक है, केवल आंतरिक और उच्च ध्वनियों को जीवन का आधार बनाइए। जो आपको निम्न्ता की ओर ले जाए, ऐसे सभी प्रकार के संवादों से अपने आपको मुक्त रखिए..

अपने ईष्ट को पूजने का अर्थ उनसे डरना नहीं, बल्कि उन्हें जानना होना चाहिए। आप जिसे जानने का प्रयास करते हैं, वो पूरी तरह आपसे अज्ञात नहीं रह सकता।

“हमने अपने आगे ढोंग रखा है प्रार्थना का, जिन्हें पूजते हैं उनके गुणों को ना अपना पाना विफलता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं। बातों के प्रलोभन किसी के मन को ठगने के लिए बहुत प्रयोग में लाए जाते हैं, लेकिन जिसकी स्वयं के प्रति कोई खोज जागृत नहीं हो सकी, वो हमेशा भटकाव में रहेगा। हर चैतन्य आत्मा की अपनी ध्वनि है, अपना सौंदर्य है और जो अपने आपको ही नहीं सुन पा रहे, उनसे अधिक कुंठित दूसरा कौन हो सकता है..!”

शिविका🌿

Please follow and like us:
Pin Share