मिश्रित कहानियों का भण्डार
आसपास की कही – सुनी बातों को संजोकर, मिश्रित कहानियों का भंडार बना दिया जाता है। उसमें समय के साथ बहुत कुछ संग्रहित होता रहता है। वो मिश्रित कहानियां इधर से उधर घूमती रहती हैं। ध्वनि और भाषा ने उन्हें अभिव्यक्ति का दृष्टिकोण पकड़ा दिया है और बता दिया है कि कैसे इस मिश्रण को फैलाया जा सकता है।
“मिश्रण में से सार निकालना, हमेशा एक कठिन कार्य रहा।”
भौतिक आधार पर जी रहा व्यक्ति आंतरिक सृजन नहीं देगा। बहुत सी पुस्तकों को पढ़ने के बाद परोसा गया ज्ञान भी सृजन नहीं देगा… सृजन का केंद्र आपके भीतर है। बाहर से केवल जानकारी का आधार ही मिल सकता है।
सृजन का बीज अंदर से फूटना चाहिए, बड़े – बड़े शब्दों के महारथी आपको चूना लगाकर भाग जायेंगे। वो आपको यह नहीं कहेंगे कि ये सारी बातें केवल , उनकी जानकारी जनित आंतरिक कुंठा है , कोई श्रेष्ठ मंथन नहीं!
“आपके मन में उपजे मनोभाव उसी भूमि के दिए होते हैं, जिस पर आपका आधार निर्मित होता है। उससे स्वयं को वंचित किया ही नहीं जा सकता, लेकिन अपना मंथन और अनुभव रखना सर्वोपरि है..”
शिविका 🌿