फूलों की घाटी

फूलों की घाटी

फूलों की घाटी

यह कहानी शिविका और उसके सबसे प्यारे दोस्तों के बारे में है। शिविका भीड़ से दूर रहना पसंद करती थी। उसे कभी – कभी लगता कि वो किसी ऐसी दुनिया में रह रही है, जो उसे समझ ही नहीं आती थी। ऐसा जब भी होता, तो वो अपने बगीचे में घूमने चली जाती। वहां पर उसने फूलों की क्यारियां बनाई थीं, जिस पर घूमने वाली तितलियों से वो अक्सर बातें करती। वो कहती, कि इतने सुन्दर रंगों को तो मैंने कभी नहीं देखा। वो हर तितली को कहती कि तुम बहुत प्यारी हो। ऐसा लगता, कि वो तितलियां उसकी बातें सुनकर, अपने रंगों को और निखार देती थीं।

वो फूलों से बातें करती थी, उसे लगता कि फूल उसे सुनते हैं। मोगरे के फूल उसे बहुत पसंद थे। हालांकि, वो फूल नहीं तोड़ती थी। जब भी कोई फूल टूटकर गिर जाता , तो वो किसी पेड़ के पास जाकर मिट्टी में रख देती। जैसे अपने किसी प्रिय साथी को , बहुत प्यार से, मिट्टी के बिस्तर पर लिटा रही हो और कहती, जल्दी वापिस आना। मैं तुम्हारा इंतज़ार करूंगी। मौसम के बदलने के साथ वहां एक पौधा निकल आता, जिस पर वही फूल लगे होते। यह देखकर, वो खुशी से नाच उठती और कहती, तुम आ गए..!

एक दिन वो उदास थी। हमेशा की तरह वो अपने बगीचे में घूमने चली गई। वो कुछ नहीं बोली, बस गुमसुम सी इधर – उधर घूम रही थी। तभी फूलों ने उसे देखकर सोचा… कि यह इतनी उदास क्यों है..?

फूलों से रहा नहीं गया, उन सबने मिलकर ईश्वर से प्रार्थना की, कि हमें कुछ देर के लिए बात करने की शक्ति दे दीजिए। यह लड़की हमेशा हमसे बातें करती है, हमें सुनती है। लेकिन, आज यह बहुत उदास है, हम इसकी उदासी का कारण जानना चाहते हैं।

देखते ही देखते, एक हल्की हवा, उन फूलों से गुज़र कर गई और फिर अचानक , सारे फूल बात करने लगे। शिविका कुछ दूरी पर खड़ी थी, सारे फूल एक साथ चिल्लाए…शिविका..!

वो मुड़ी और आश्चर्य से भर गई। उसने कहा कि, तुम सब बात कर सकते हो..?

फूलों ने कहा..- हां, केवल कुछ देर के लिए तुम हमें सुन पाओगी..!

शिविका –

मुझे यह सपने जैसा क्यों लग रहा है..?

फूल बात नहीं करते..!

मोगरा –

मैं तुम्हें महसूस करता हूं, जब तुम मेरे पास आकर मेरी खुशबू में खो जाती हो..

शिविका –

क्या सच में..?

मोगरा –

हां, और मैं अपनी खुशबू और बढ़ा देता हूं , ताकि तुम्हें और अच्छा महसूस हो।

शिविका –

(खुशी से चिल्ला उठती है)

यह तो कमाल हो गया…

मैं फूलों को सुन सकती हूं…

मोगरा –

तुम तो हमेशा हमें सुनती हो , और महसूस करती हो।

आज तुम्हें उदास देखा तो रहा नहीं गया…

बताओ प्यारी दोस्त, क्या हुआ तुम्हें…?

शिविका –

मेरे मन में एक याद बसी है, जो मैं किसी को भी नहीं बताना चाहती…

मुझे लगता है कि वो याद बताकर , मैं उसे खो दूंगी…!

मोगरा –

पर यादें तो साझा करने के लिए होती हैं न..!

तुम हमसे सब कह सकती हो..

शिविका –

नहीं, मैं यह नहीं कह पाऊंगी…

मोगरा –

अच्छा यह बताओ..!

फूलों की घाटी के बारे में कभी सुना है तुमने..?

शिविका –

फूलों की घाटी..?

मोगरा –

हां, फूलों की घाटी..!

आज से बहुत साल पहले तक, एक “फूलों की घाटी” हुआ करती थी, हम सब वहीं एक साथ रहते थे।

उस घाटी में फूलों की यादें बसी थीं…

शिविका –

फूलों की यादें..?

मोगरा –

हां, फूलों की यादें..

शिविका –

तुम्हारे पास भी यादों की कहानी है..?

मोगरा –

हां..!

फूलों की घाटी ! जिसमें यादों की बसाहट थी। रंग – बिरंगे फूलों से बनी हुई एक ऐसी दुनिया ,जहां फूल सांस लेते थे, बातें करते थे।

आज मैं तुम्हें फूलों की घाटी में रहने वाले हनु और शिब्बू की कहानी सुनाता हूं…

शिविका –

हनु और शिब्बू..!

मोगरा –

फूलों की घाटी में एक छोटा सा लड़का हनु रहता था। वो बिलकुल तुम्हारी तरह था। हमारे बीच में रहना उसे बहुत पसंद था। वो हमसे बातें करता, हमारे बीच खेलता और फिर वहीं सो जाता था। हमारे सिवा उसका कोई नहीं था।
हम भी उसे अपने परिवार का हिस्सा मानते थे।

लेकिन, फूलों की घाटी कोई साधारण जगह नहीं थी। वो एक जादुई दुनिया की तरह थी । जहां के सारे फूल, एक दूसरे से बातें करते, साथ में खेलते और अपनी यादों को एक पेड़ पर रख देते थे।

पेड़ पर रखने का काम एक तितली का था, वो फूलों के पास आती और सभी फूलों से उनकी यादों को इकट्ठा करके, पेड़ के पास ले जाती थी। पेड़ उन सभी यादों को संभाल कर रख लेता था।

जब भी किसी नए फूल का जन्म होता , तो पेड़ उन्हें उपहार में उनके परिवार की यादें देता। इस तरह से नई यादें बनती रहतीं और पुरानी यादों को भी संजोकर रखा जाता था।

फूलों की घाटी के हर फूल में एक आत्मा थी। सूरजमुखी के फूल बहादुरी की कहानियाँ साझा करते थे, गुलाब प्यार के गीत गाते थे, और डेज़ी शरारती बच्चों की तरह दिन भर खिलखिलाती रहती थी।

एक दिन हनु , फूलों की घाटी में ही किसी पत्थर पर बैठा हुआ था। तभी वहां पर , शिब्बू नाम के एक छोटे से जीव से टकराया। शिब्बू , ओस की बूंद से बड़ी नहीं थी।उसके पंख नाज़ुक पंखुड़ियों से बने थे। उसकी आँखें नीलम की तरह चमक रही थीं।

शिब्बू-

“नमस्ते, छोटे,” हनु…!

“तुम यहां आकर क्यों बैठे हो?”

(शिब्बू अपने पंख फड़फड़ाते हुए, हनु की हथेली पर उतरी)

“मैंने तुम्हारी दयालुता के कई किस्से सुने हैं…”

“देखो, मैं फॉरगेट-मी-नॉट घाटी की संरक्षक हूं।

लेकिन, हाल ही में, वहाँ के फूलों ने अपना रंग और अपनी यादें खो दी हैं। मुझे तुम्हारी मदद चाहिए, हनु..।

(हनू का दिल करुणा से भर गया)

हनु –

बिलकुल, शिब्बू!

मैं ज़रूर मदद करूंगा…

(वो दोनों एक साथ, फॉरगेट-मी-नॉट घाटी की ओर चल पड़े। रास्ते में, उन्हें बात करने वाले ट्यूलिप, शरारती डैफोडिल और यहाँ तक कि स्पाइक नाम का एक गुस्सैल कैक्टस भी मिला)

जैसे ही वो दोनों घाटी के बीच में पहुँचे, उन्हें एक मुरझाया हुआ, फॉरगेट-मी-नॉट मिला। उसकी पंखुड़ियाँ झुक गई थीं, और इसका चमकीला नीला रंग फीका पड़ गया था।शिब्बू ने फूल को धीरे से छुआ।

हनु फूल के कान में फुसफुसाया –

याद है..?

उसके ऐसा कहते ही फॉरगेट-मी-नॉट की पंखुड़ियाँ खुल गईं… उसकी यादें वापिस आ गईं। उसका रंग चमकने लगा।

यह बात फूलों की घाटी में फैल गई, और जल्द ही, अन्य फूलों ने हनु की मदद मांगी। वह और शिब्बू दूर-दूर तक यात्रा करते रहे, टूटे हुए फूलों को ठीक करते रहे, खोई हुई यादों को फिर से जगाते रहे, और फूलों की दुनिया में रंग भरते रहे…।

लेकिन एक फूल था जो ज़िद्दी बना रहा- मूनफ्लावर…

इसकी पंखुड़ियाँ चांदी की तरह चमक रही थीं, और यह अपने अंदर एक रहस्य छिपाए बैठा था…

हनु और शिब्बू सबसे ऊँची चोटी पर चढ़ गए, जहाँ चाँद के नीचे मूनफ्लावर खिला था।

हनु – (पंखुड़ियों को छूते हुए पूछा)

“तुम अपनी यादें, क्यों नहीं साझा करते?”

(मूनफ्लावर ने आह भरी)

बहुत पहले, मैं एक सितारे से प्यार करता था।  हम रात के आसमान में साथ-साथ नाचते थे। लेकिन एक दिन, तारा गिर गया। मैंने उसकी याद को छिपाकर रखा है, डर है कि यह बताने से उसकी यादें भी खो जाएंगी।

हनु मुस्कुराया-

लेकिन यादें साझा करने के लिए होती हैं। चलो , हम साथ मिलकर उसे याद करते हैं…

शिब्बू ने उसे कहानियाँ सुनाई—समय से परे प्यार की ।

जैसे ही उसने ऐसा किया, चंद्रफूल की पंखुड़ियाँ चमक उठीं और उसकी खुशबू घाटी में भर गई।

शिविका –

हनु और शिब्बू का क्या हुआ..?

मोगरा –

हनु और शिब्बू किंवदंतियाँ बन गए—वह लड़का जिसने फूलों को ठीक किया और वह नन्हा जीव , जिसने उसे दोस्ती का जादू सिखाया…।

अब तुम बताओ , अपनी याद के बारे में…

शिविका –

मुझे अपने दादाजी की बहुत याद आती है…

यह बात मैं किसी से नहीं कह सकती।

मोगरा –

तुम्हारे दादाजी , तुम्हें बहुत प्यार करते थे…

उन्होंने हमें बताया था तुम्हारे बारे में।

शिविका –

मेरे बारे में क्या बताया था उन्होंने..?

मोगरा –

अब सही समय आ गया है, तुम्हें तुम्हारी यादें लौटाने का..

शिविका –

वो क्या है..?

मोगरा –

तुम जब छोटी थी, तो अपने दादाजी के साथ यहां आती थी…

तुमने उनसे वादा किया था कि तुम बड़ी होकर हमारा ध्यान रखोगी.. हमसे प्यार करोगी और अपनी यादों को भी हमसे साझा करोगी।

इसलिए तुम्हें कभी उदास होने की ज़रूरत नहीं है…

हम हमेशा तुम्हारे साथ हैं, खुशबु और रंगों की चमक से भरी हुई तुम्हारी यादों में…

शिविका –

क्या तुमने ! मेरी सभी यादें संभाल कर रखी हैं..?

मोगरा –

हां, क्योंकि तुम हमारा परिवार हो…!

(शिविका ने फूलों को सुना और फूलों ने शिविका को, इस तरह दोनों ने एक दूसरे की यादों को संभाल कर रख लिया..वो आज भी एक दूसरे को सुनते हैं और अपनी यादों को साझा करते हैं)

शिविका🌿

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