प्रार्थनाओं का सौंदर्य

प्रार्थनाओं का सौंदर्य

‘प्रार्थनाओं’ ने हमेशा अचंभे में रखा है। जीवन की उपस्थिति को लेकर जागृत होते हुए प्रश्नों को, प्रार्थनाओं ने ध्वनि दी है। वो ध्वनि एक सहायक की ध्वनि है। जिसमें इस बात को स्वीकृति मिलती है कि कहीं कोई धूनी जलती रहती है। जिसमें जीवन के प्रति आशा के कई सूर्य अलग -अलग दिशाओं से देखे जाते हैं।

दीप प्रज्ज्वलित करके, उसके सामने हथेलियों को जोड़कर जिस स्थिरता से अपनी मांग रखी जाती है, वो रौशन होती, उस दीए की रौशनी की तरह गूंज उठती है। यह और सुखद होता अगर कर जोड़ने वाला यह जान पाता कि उसके कर उसके ‘ हृदय केंद्र’ पर टिके हुए हैं। सबसे पहले वो अपने आत्मन को प्रणाम करे, वो अनंत रौशनी तो उसके भीतर निरंतर जल रही है।

प्रार्थनाओं का सौंदर्य

वो सबकुछ जानती है, सुन पाती है। उस रौशनी से होते हुए वो हाथ अग्नि के समक्ष जुड़ जाते हैं। कभी प्रार्थना में अश्रु धारा तो कभी अग्नि का सम्मोहन निखर आता है। व्यक्ति के भीतर गिरती- उठती भावनाओं को प्रार्थना का आश्रय मिलता है।

” जब तक प्रार्थनाओं की गूंज रहेगी, एक निरंतर चलने वाली सहायक ध्वनि जीवन को संभाले रखेगी… अनभिज्ञ ध्वनियों को भी प्रार्थना ने ‘साकार हो जाने’ की ओर जोड़े रखा..।”

शिविका🌿

Please follow and like us:
Pin Share