प्रकृति का मन

प्रकृति का मन

कितना कुछ रखा है एक सोच के अंदर..! खेत-खलिहान, तो कुछ आँगन के किस्से ।कभी गांव उमड़ आता है तो कभी शहर , परिधानों के भी…