मेरे जीवन के सबसे निकट रहे व्यक्तियों से मेरा उम्र और पढ़ाई को लेकर कोई संबंध नहीं रहा। जो है वो आंतरिक है, जिनसे भी बात कर पाती हूं, वो सब आंतरिक अनुभूति से चलने वाले खोजी हैं।
वो जानें कितने ही व्यक्तियों को जीना सिखा दें, ज्ञान भी उनका प्रबल है। पुस्तकों की अपेक्षा स्वमंथन से उपजे ज्ञान का आधार ही मार्ग निर्माण की उन्मुक्तता साथ लेकर चलता है।
जब उनसे कोई पूछता है कि आपने पढ़ाई कहां तक की है…? बस यहीं पर उनका मन विमुख हो जाता है वार्तालाप की बनी हुई श्रेणियों से।
“जो अनंत की ओर चल रहे हैं, वो भूत, भविष्य और वर्तमान के ज्ञान को एक दृष्टा की भांति किसी भी समय और काल में देख सकते हैं। हालांकि यह सबके समझ के बाहर की बात कर दी मैंने, पर यह वैसा ही है कि अगर आपने अनुभूति नहीं की, इसका अर्थ यह नहीं कि वो अनुभूति उपस्थित ही नहीं है। जो असीमित के लिए है, वो आपकी डिग्रियों वाली मानसिकता में कैसे आएगा..? हालांकि ऐसे व्यक्तियों का जीवन भी आसान नहीं होता…”
शिविका 🌿