यात्रा में टकराई हर चीज़ रखने योग्य नहीं..!
इस दुनिया के असल कायदे के हिसाब से, भौतिकता की सर्वोच्चता इकठ्ठा कर लेने वालों को अधिक सफ़ल माना जाता है। तो बंद करो ढोंग अपना, तर्क देना बुद्ध के नाम पर या फिर उनके नाम पर, जिन्होंने लोगों और समस्त प्रकृति के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।
खोखली बातों के घेरे से मुक्त करो अपना मन,
उसे ढालो एक उचित बिंब में।
प्रतीक बनाओ कर्म प्रधान
वो सहेजो! जो सहेजने योग्य है।
आवश्यकता से अधिक जो भी है,
वो किसी और का है, हमेशा से!
जब उसने नहीं बांटा तो तुम क्यूं..?
इतिहास मज़ाक उड़ाता है..
वीरों का नहीं,
उन कायरों का …?
जिन्होंने बेची है स्वछंदता अपनी
कभी विचारों के अधीन,
तो कभी विकारों के अधीन..!
अपनी मिट्टी को सही पोषण दो
शोषण बंद करो
अपना भी और
दूसरों का भी..।
“प्रारंभ की आधारशिला
अंत साथ लेकर आती है..
एक तटस्थता लेकर चलो
भ्रम को स्वयं से मत बांधों
यात्रा में टकराई हर चीज़ रखने योग्य नहीं…”
शिविका 🌿